नवरात्रि के 9 दिन का भोग सूची : नवरात्रि हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है, जिसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पूजा 9 दिन तक चलती है और इन दिनों के दौरान व्रत के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के आहार का भोग किया जाता है। इस लेख में, हम नवरात्रि के प्रत्येक दिन के भोग की सूची को विस्तार से जानेंगे और यह जानेंगे कि इन आहारों में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व छुपे होते हैं।
1. पहला दिन – शैलपुत्री पूजा
- आलू की सब्जी
- पूरी
- कद्दू का हलवा
- चना सलाद
- दूधी चावल
2. दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी पूजा
- तमातर का पनीर
- बेसन की रोटी
- दही
- शक्करपारा
3. तीसरा दिन – चंद्रघंटा पूजा
- आलू कढ़ी
- पुरी
- चने की सब्जी
- गरमा गरम चावल
- गुड़ और मूंगफली की चिकी
4. चौथा दिन – कूष्मांडा पूजा
- अरबी की सब्जी
- सिंघाड़ा के आटे की पुरी
- साबूदाना खीर
- व्रती नमकीन
5. पांचवा दिन – स्कंदमाता पूजा
- बटाटा भाजी
- सिंघाड़ा के आटे की पुरी
- मिल्क केक
- व्रती फल
6. छठा दिन – कात्यायनी पूजा
- अरबी की सब्जी
- राजगीरा पुरी
- सेंधा नमक
- मिश्री
7. सातवां दिन – कालरात्रि पूजा
- साबूदाना खिचड़ी
- कट्टू की पुरी
- आलू की चटनी
- सबूदाना केसरी
8. आठवां दिन – महागौरी पूजा
- अरबी की सब्जी
- सिंघाड़ा के आटे की पुरी
- साबूदाना खीर
- व्रती फल
9. नौवां दिन – सिद्धिदात्री पूजा
- कट्टू की सब्जी
- सिंघाड़ा के आटे की पुरी
- मूंगफली की चिकी
- सेंधा नमक
नवरात्रि के इन 9 दिनों के भोग की सूची विभिन्न व्रतों और प्रान्तीय रसोईयों में भिन्न-भिन्न तरीकों से बनाई जाती है, लेकिन इनमें पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार होता है। यह व्रत धार्मिकता के साथ-साथ आहार की पौष्टिकता को भी बनाए रखता है.
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नवरात्रि हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे नौ दिनों तक मनाया जाता है और इस दौरान मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। इन दिनों में भगवानी दुर्गा की आराधना के साथ-साथ पति-पत्नी के बीच सजीव संबंध को भी महत्व दिया जाता है। यह एक अद्वितीय तरीका है जिसमें यह दिखाया जाता है कि पति-पत्नी के बीच साझा करने वाले रिश्तों का महत्व कितना है और इन्हें कैसे मजबूत किया जा सकता है।
- साथ में पूजा करें: नवरात्रि के इन नौ दिनों में, पति-पत्नी को दुर्गा माता की पूजा करने में साथ देना चाहिए। यह एक मानसिक और आध्यात्मिक एकता का माहौल बनाता है और दोनों के बीच एक साथ अच्छे रिश्तों को स्थायी बनाता है।
- व्रत रखें: नवरात्रि के दौरान, पति-पत्नी को व्रत रखने का प्रयास करना चाहिए। व्रत रखने से वे अपनी इंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने आप को आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ा सकते हैं।
- साझा करें: पति-पत्नी को नौ दिनों के दौरान खाना खाने, पूजा करने, और आराधना करने का साझा करने का प्रयास करना चाहिए। इससे उनके बीच एक मजबूत संबंध बनते हैं और वे आपसी समझदारी में बढ़ सकते हैं।
- सहयोग करें: पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ काम करने में सहयोग करना चाहिए, चाहे वो पूजा का आयोजन हो या घर के कामों में मदद करना हो। यह साथ-साथ काम करके उनके रिश्तों को मजबूती देता है।
- आपसी समझदारी: यह महत्वपूर्ण है कि पति-पत्नी आपसी समझदारी बनाए रखें और किसी भी विवाद को शांति और समझदारी के साथ हल करें। यह उनके रिश्तों को मजबूती देगा और उन्हें साथ ही जीवन के हर कदम पर साथ रहने का साहस देगा।
नवरात्रि में पति-पत्नी को एक अद्वितीय मौका मिलता है अपने रिश्तों को मजबूत करने का, और अपने जीवन में एक नई शुरुआत करने का। इन दिनों के दौरान, पति-पत्नी को धार्मिकता के साथ अपने रिश्तों को सजाने और सशक्त करने का अद्वितीय अवसर मिलता है। यह एक साथ आराधना करके और व्रत रखकर नहीं केवल आपके रिश्तों को मजबूत बनाता है, बल्कि आपके आपके जीवन को भी सफल और खुशहाल बनाने में मदद करता है।
इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ सहयोग करें, विवादों को समझदारी और सहमति के साथ हल करें, और अपने रिश्तों को प्यार और समर्पण के साथ निभाएं। यह नवरात्रि के इन पावन दिनों को अपने जीवन के लिए एक साथ बीताने का अद्वितीय मौका है और इसका उपयोग करके पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ अपने जीवन के सभी पहलुओं में साझा कर सकते हैं।
साथ ही, यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि नवरात्रि के इन दिनों को अपने परिवार के साथ बिताने का भी अद्वितीय तरीका हो सकता है, जब आप समर्पण, ध्यान, और प्यार के साथ एक साथ होते हैं। इन दिनों के दौरान पति-पत्नी को अपने आप को पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से आत्मसमर्पण का अहसास करने का मौका मिलता है, जिससे उनके रिश्ते और जीवन को आदर्श दिशा मिलती है।
नवरात्रि के इन पावन दिनों में पति-पत्नी को साथ मिलकर अपने रिश्तों को मजबूत करने का अद्वितीय अवसर होता है, जो उनके जीवन के सभी पहलुओं में सुख और समृद्धि लेकर आता है।
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नवरात्रि हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसमें माता दुर्गा की पूजा और आराधना का विशेष महत्व होता है। यह पूजा 9 दिनों तक चलती है, जिसमें हर दिन एक नए रूप में माता की पूजा की जाती है और उनके समर्पण में विशेष भोग चढ़ाते हैं। इन नौ दिनों में माता का भोग तैयार करने में व्रतियों और पूजारियों का विशेष ध्यान रखा जाता है, और इस भोग का निषेध व्रती आहार में समृद्धि और पौष्टिकता के साथ होता है।
माता के भोग का अर्थ होता है कि व्रती और पूजारी भक्त अपनी माता की सेवा करते हैं और उनके लिए विशेष आहार तैयार करते हैं। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि माता के भोग के माध्यम से भक्त अपने विचारों को देवी की ओर मोड़ते हैं और उनकी आराधना में विश्वास रखते हैं।
- पहला दिन – शैलपुत्री पूजा: नवरात्रि की शुरुआत माता शैलपुत्री की पूजा से होती है, इस दिन भोग में पूरी, आलू की सब्जी, कद्दू का हलवा, चना सलाद, और दूधी चावल शामिल होते हैं।
- दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी पूजा: इस दिन का भोग तमातर का पनीर, बेसन की रोटी, दही, और शक्करपारा से बनता है।
- तीसरा दिन – चंद्रघंटा पूजा: चंद्रघंटा माता के भोग में आलू कढ़ी, पुरी, चने की सब्जी, गरम चावल, और गुड़ की चिकी शामिल होते हैं।
- चौथा दिन – कूष्मांडा पूजा: इस दिन के भोग में अरबी की सब्जी, सिंघाड़ा के आटे की पुरी, साबूदाना खीर, और व्रती नमकीन शामिल होते हैं।
- पांचवा दिन – स्कंदमाता पूजा: स्कंदमाता माता के भोग में बटाटा भाजी, सिंघाड़ा के आटे की पुरी, मिल्क केक, और व्रती फल शामिल होते हैं।
- छठा दिन – कात्यायनी पूजा: इस दिन के भोग में अरबी की सब्जी, राजगीरा पुरी, सेंधा नमक, और मिश्री